मौसमी एलर्जी से बचाव: बदलते मौसम में खुद को कैसे रखें स्वस्थ?

मौसमी एलर्जी क्या है?

जब मौसम बदलता है – जैसे सर्दी से गर्मी या गर्मी से बरसात में प्रवेश करते समय – तब वातावरण में परागकण (pollen), धूल, नमी, और बैक्टीरिया-फंगस की मात्रा बढ़ जाती है। इन कारणों से शरीर में एलर्जी की प्रतिक्रिया होती है, जिससे छींक, खांसी, त्वचा पर खुजली, आंखों से पानी आना, या सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं होती हैं। इसे ही मौसमी एलर्जी कहा जाता है।

मौसमी एलर्जी के सामान्य लक्षण

  • लगातार छींक आना
  • नाक बहना या बंद होना
  • खांसी, गले में खराश
  • आंखों में जलन या पानी आना
  • त्वचा पर रैशेज या खुजली
  • सांस लेने में तकलीफ (अस्थमा से पीड़ितों को अधिक असर)

मौसमी एलर्जी से बचाव के 10 असरदार उपाय (विस्तार से)

  1. घरेलू मास्क का प्रयोग: जब आप बाहर निकलते हैं, तो नाक और मुंह को सूती कपड़े या सर्जिकल मास्क से ढकें। यह हवा में उड़ने वाले परागकण और धूल को शरीर में जाने से रोकता है।
  2. नाक को नम रखें: दिन में एक या दो बार नाक में सेलाइन (नमक पानी) डालें या गुनगुने पानी से नाक साफ करें। इससे नाक की परत नम रहती है और एलर्जन चिपक नहीं पाते।
  3. भाप लेना: एक बर्तन में पानी उबालें और उसमें तुलसी के पत्ते, पुदीना और अजवाइन डालकर भाप लें। यह नाक के मार्ग को साफ करता है, गले की खराश दूर करता है और सांस को राहत देता है।
  4. घर की सफाई: पंखे, पर्दे, सोफा और बिस्तर पर धूल आसानी से जम जाती है। इन्हें हर 3–4 दिन में धूप में रखें या धूल-मुक्त रखें। एलर्जी पैदा करने वाले तत्व घर में ही छिपे होते हैं।
  5. गर्म पानी पीना: ठंडे पेय पदार्थों से परहेज़ करें। दिनभर थोड़ा-थोड़ा करके गुनगुना पानी पिएं। यह गले की खराश कम करता है, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और नाक की जकड़न को भी दूर करता है।
  6. विटामिन C का सेवन बढ़ाएं: आंवला, नींबू, अमरूद, कीनू जैसे फलों में विटामिन C प्रचुर मात्रा में होता है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है जिससे शरीर एलर्जी से खुद लड़ सके।
  7. अदरक और शहद का मिश्रण: ताजा अदरक का रस और शुद्ध शहद को मिलाकर दिन में 2 बार लें। यह गले को राहत देता है, सूजन कम करता है और संक्रमण से बचाता है।
  8. धूल-पंखों से बचें: अगर घर की सफाई कर रहे हैं तो मास्क पहनना ज़रूरी है। धूल-मिट्टी एलर्जी को ट्रिगर करती है। खासतौर पर सुबह-सुबह झाड़ू-पोछा करते समय सावधानी रखें।
  9. योग और प्राणायाम: रोज़ 10–15 मिनट अनुलोम-विलोम और कपालभाति करें। इससे फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है, और शरीर एलर्जी से जल्दी उबर पाता है।
  10. दूध में हल्दी मिलाकर पिएं: हल्दी एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटी-एलर्जिक है। रात में गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी मिलाकर पिएं। यह शरीर को अंदर से एलर्जी से लड़ने के लिए तैयार करता है।

किन लोगों को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए?

  • अस्थमा (दमा) के रोगी
  • बच्चे और बुजुर्ग जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है
  • एलर्जी का पुराना इतिहास रखने वाले लोग
  • जिन्हें साइनस की समस्या रहती है

निष्कर्ष:

मौसम बदलना प्राकृतिक है लेकिन इससे शरीर पर असर होना जरूरी नहीं। यदि आप सावधानी बरतें, खानपान सही रखें और ऊपर दिए गए उपायों को अपनाएं – तो मौसमी एलर्जी से काफी हद तक बचा जा सकता है। ध्यान रखें, रोकथाम इलाज से बेहतर है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

तुलसी के 15 ऐसे फायदे जो शरीर, मन और घर को स्वस्थ बनाते हैं

डिजिटल डिटॉक्स क्या है? मोबाइल की लत से छुटकारा पाने के 10 आसान उपाय"

बिना दवा के बुखार ठीक करने के 5 असरदार घरेलू उपाय