पेट में गैस बार-बार क्यों बनती है? जानिए 7 कारण और आयुर्वेदिक समाधान
पेट में गैस बनना कितना आम है?
पेट में गैस बनना एक सामान्य लेकिन परेशान कर देने वाली समस्या है। यह हमारी खान-पान की आदतों, जीवनशैली, पाचन तंत्र की स्थिति और मानसिक स्थिति से जुड़ी हो सकती है। कभी-कभी यह समस्या हल्की होती है लेकिन जब यह रोज़-रोज़ हो तो शरीर में असंतुलन का संकेत हो सकता है।
गैस बनने के 7 प्रमुख कारण (विस्तार से)
- तेज़ी से खाना खाना: जल्दी खाने से आप खाना अच्छे से चबा नहीं पाते। इससे हवा निगल जाती है जो पेट में गैस बनाती है। साथ ही खाना अधपचा रह जाता है, जिससे पाचन तंत्र पर दबाव पड़ता है।
- गलत भोजन संयोजन: जैसे दूध+नमक, मछली+दही, फल+दूध आदि। ऐसे विरोधी आहार साथ में लेने से शरीर को पचाने में दिक्कत होती है और पाचन की आग मंद हो जाती है।
- बासी और तला-भुना खाना: ऐसे भोजन में पोषण की मात्रा कम और वसा अधिक होती है, जो आंतों को धीमा कर देती है। इससे गैस, एसिडिटी और पेट भारीपन होता है।
- कम पानी पीना: पानी न पीने से शरीर के एंजाइम और पाचन रस अच्छे से काम नहीं कर पाते। इससे खाना देर से पचता है और गैस बनती है।
- तनाव और चिंता: मानसिक स्थिति सीधे पेट और पाचन से जुड़ी होती है। तनाव लेने से आंतों की गति बदल जाती है और IBS जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।
- ज्यादा चाय-कॉफी: कैफीन पेट की दीवार को उत्तेजित करता है जिससे अधिक एसिड बनता है और गैस की समस्या बढ़ती है।
- शारीरिक गतिविधि की कमी: दिनभर एक ही जगह बैठने या खाने के तुरंत बाद लेटने से आंतों की गति सुस्त हो जाती है और गैस फँस जाती है।
गैस से राहत के लिए असरदार आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय (विस्तार से)
- हींग का पानी: एक गिलास गुनगुने पानी में चुटकी भर हींग मिलाकर पीने से आंतों में जमी हुई गैस को बाहर निकलने में मदद मिलती है। हींग वात नाशक होती है।
- अजवाइन और काला नमक: यह मिश्रण पाचन एंजाइम को सक्रिय करता है और गैस को तुरंत बाहर निकालने में सहायक होता है। इसे खाने के बाद चबाना लाभकारी है।
- त्रिफला चूर्ण: त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला) पाचन शक्ति को बढ़ाता है, मल साफ करता है और नियमित रूप से लेने पर गैस की जड़ से सफाई करता है।
- सौंफ का सेवन: यह आंतों को शांत करता है, पाचन सुधरता है और मुंह की दुर्गंध भी दूर करता है। बच्चों के लिए भी सुरक्षित उपाय है।
- धनिया-जीरा-शुंठी काढ़ा: यह तीनों मिलाकर बनाए गए काढ़े से पेट को ठंडक मिलती है और गैस के साथ-साथ अपच भी ठीक होती है। इसे खाली पेट या रात में पी सकते हैं।
पाचन को मजबूत करने की दैनिक आदतें (और विस्तार से)
- 🕰 खाना समय पर खाएं: असमय भोजन करने से शरीर की आंतरिक घड़ी गड़बड़ा जाती है जिससे गैस बनने की संभावना बढ़ जाती है।
- 🚶♂️ खाने के बाद 10 मिनट टहलें: यह आदत आंतों को सक्रिय करती है, जिससे खाना अच्छे से नीचे की ओर बढ़ता है और गैस जमा नहीं होती।
- 💧 दिनभर पर्याप्त पानी पिएं: लेकिन भोजन के साथ ज्यादा पानी न पिएं। दिन में 7–8 गिलास पानी पिएं, जिससे पाचन रस पतला न हो।
- 🧘♂️ योगासन करें: पवनमुक्तासन, वज्रासन, भुजंगासन जैसे योगासन पेट की गैस और सूजन को दूर करते हैं। रोज़ सुबह 15 मिनट इनका अभ्यास करें।
- 📵 खाते समय मोबाइल न देखें: मन लगाकर खाने से पाचन रस अच्छे से बनते हैं और गैस नहीं बनती। मन-मस्तिष्क भोजन प्रक्रिया में हिस्सा लेता है।
निष्कर्ष:
पेट की गैस कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन यह आपकी दैनिक ऊर्जा, मूड और काम करने की क्षमता पर असर डाल सकती है। इसलिए गैस को हल्के में न लें। ऊपर दिए गए कारणों को समझें और आयुर्वेदिक व घरेलू उपायों को अपनाकर अपने पाचन तंत्र को संतुलित बनाएं।
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